सर्व सुहागन करवड़ा अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए करवा चौथ पर... जरूर पढ़े पूरी खबर

सर्व सुहागन करवड़ा

अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए करवा चौथ पर...

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जालंधर (राजन) : आज सुहागिनों के अखंड सौभाग्य की कामना से जुड़ा पर्व करवाचौथ है। विवाहित महिलाएं पति की लंबी उम्र, सुख और समृद्धि की कामना करते हुए निर्जला व्रत करती हैं और माता करवा की पूजा करती हैं। शाम के समय सजी-धजी महिलाएं पूजा की थाली सजाती हैं जिसमें दीपक, मिठाई, करवा (जल का पात्र) और छलनी रखी जाती है। इस बार का करवाचौथ कुछ खास है। इस दिन एक नहीं बल्कि तीन शुभ योग बन रहे हैं, जो व्रत के आध्यात्मिक महत्व को कई गुना बढ़ा देंगे। इस बार करवाचौथ के दिन रोहिणी नक्षत्र, अमृत सिद्ध योग और सर्वार्थ सिद्ध योग तीनों एक साथ बन रहे हैं। इन तीनों योगों का संयोग अत्यंत दुर्लभ माना जाता है। इसलिए इस दिन व्रत रखने और पूजा करने से न केवल अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है, बल्कि जीवन में समृद्धि और मंगल की भी वृद्धि होती है।

वीरा कुड़िए करवड़ा, सर्व सुहागन करवड़ा हे बहन, यह करवा ले, सर्व सुहागिनों का करखा।

ए कट्टी न अटेरी न, खुब चरखड़ा फेरी न इसे किसी को देना मत, चरखा न चलाना, कोई काम न करना।

ग्वांड पैर पाई न, सुई च धागा फेरी न पड़ोसन के घर न जाना, सुई में धागा न डालना (व्रत के नियमों का पालन)।

रुठड़ा मनाई न, सुतड़ा जगाई न किसी रूठे को मनाना नहीं, सोए हुए को जगाना नहीं।

बहन प्यारी वीरा, चंद चढ़े ते पानी पीना प्रिय बहन, जब चांद निकले तभी पानी पीना।

लै वीरा कुड़िए करवड़ा, लै सर्व सुहागिन करवड़ा हे बहन, यह करवा ले सर्व सुहागिनों का शुभ करवा।

यह है पौराणिक मान्यता

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार एक साहूकार के सात बेटे व एक वीरावती नाम की बेटी थी। सेठानी समेत उसकी बहुओं और वीरावती ने करवाचौथ का व्रत रखा। रात को साहूकार के बेटे भोजन करने लगे तो उन्होंने बहन से भी भोजन को कहा। बहन ने जवाब दिया कि अभी चांद नहीं निकला, उसके निकलने पर अर्घ्य देकर भोजन करूंगी। बहन को भूखा देख भाइयों ने नगर से बाहर जाकर अग्नि जला दी और छलनी ले जाकर उसमें प्रकाश दिखाते हुए बहन से कहा कि चांद निकल आया। भाभियों ने वीरावती को समझाया लेकिन वह नहीं मानी। उसके बाद वीरावती के पति की मौत हो जाती है। दुखी वीरवती के सामने मां गौरी प्रकट होती है और उसे अगले साल दोबारा व्रत रखने को कहती है। वीरवती की तपस्या देख मां गौरी पति को जीवित कर देती है। तब से हर सुहागिन यह व्रत रखती हैं।

महाभारत में भी है प्रसंग : वनवास काल में अर्जुन तपस्या करने नीलगिरि पर्वत पर गए तो द्रौपदी ने अर्जुन की रक्षा के लिए श्री कृष्ण से मदद मांगी। उन्होंने द्रौपदी को वैसा ही उपवास रखने को कहा जैसा माता पार्वती ने भगवान शिव के लिए रखा था।

व्रत खोलने का तरीका

करवा चौथ के दिन शाम को सभी सुहागिनें सज-धजकर एक जगह इक‌ट्ठा होती हैं और गोल घेरे में बैठकर अपनी पूजा की थाली एक-दूसरे के साथ बांटती हुई करवा के गीत गाती हैं। इसी दौरान पंडित या पंडिताइन महिलाओं को करवाचौथ की कथा सुनाते हैं। फिर थाली बंटाते हुए ये गीत गाती हैं।

चंद्रमा पूजन से पूर्ण होता है व्रत

चंद्रोदय के पश्चात और व्रत के अंत में चंद्रमा को अर्घ्य अर्पित किया जाता है। इसके बाद एक छलनी में दीप रखकर पति के दर्शन करके चरण-स्पर्श किया जाता है। अंत मैचति के हाथों से जल का सेवन करके व्रत का पारण किया जाता है। मान्यता है कि चंद्रदेव की पूजा करने से वैवाहिक जीवन सुखमय रहता है और पति को लंबी आयु का आशीर्वाद मिलता है। इस विधि के पश्चात ही व्रत का पारण किया जाता है। 


16 सोलह श्रृंगार का महत्व

बिंदी : आध्यात्मिक उर्जा व एकाग्रता में मदद। काजल : आंखों को ठंडक

मिलती है। मंगलसूत्र : सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक। दिमाग व मन शांत रहता है। सिंदूर : दिमाग की नसें नियंत्रित रहती हैं। चूड़ियां : रक्त के परिसंचरण में असरदार। हाथ की हड्डियां मजबूत होती हैं। नथ : श्वसन तंत्र ठीक काम करता है।

अंगूठी : अनामिका अंगुली की नसें हृदय-दिमाग से जुड़ी होती हैं। प्रेशर

से दोनों स्वस्थ। गजरा : खुशबू से मन प्रफुल्लित व तनाव दूर रहता है।

बाजुबंद : मांसपेशियों में खिंचाव व रक्तसंचार बढ़ाने में सहायक।

मेहंदी : ठंडक व ऊर्जावान रखती है। हार्मोन पर प्रभाव। 

कमरबंद : दर्द कम करने में सहायक। फैट नहीं जमती। 

मांग टीका : खूबसूरती की निशानी। 

झुमके : किडनी व ब्लैडर स्वस्थ रखने में सहायक।

विछुआ : एक्यूप्रेशर का काम करता है। 

पहनावा : सौंदर्य व पवित्रता का प्रतीक। 

पायल : एड़ियों को राहत।

सेल्फी विद सजना...

दांपत्य जीवन में एक दूसरे के प्रति प्रेम और समर्पण का उत्सव है करवा चौथ। यह पति-पत्नी के बीच समानता और सामंजस्य का अनुष्ठान है। गठबंधन की चिरजीविता के संकल्प का यह उपक्रम है। आगामी करवाचौथ की यादें आप भी सहेजना चाहती हैं तो पर्व की पूजा के बाद सजना के साथ अपनी सेल्फी हमें अपने नाम और स्थान के साथ वाट्सएप करें। चुनिंदा तस्वीरों को प्रकाशित करके हम भी इस खुशी में शामिल होंगे।

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