कांग्रेस की जिला प्रधान देहाती रेनू सेठ के घर पर गणेश चतुर्थी पर गणपति की मूर्ति का आगमन ।
इस के लागू होने के बाद विपक्षीय राजनीतिक के मुखमंत्रियों को भी केंद्र सरकार का दवाब बनेगा ।
इस क़ानून बनने पर प्रदेश की विपक्षी पार्टियों की सरकार के मुख्यमंत्रियों पे हो सकेगी करवाई,
देश के प्रधानमंत्री पर पद पर रहते नहीं हो सकेगी करवाई ।
केंद्र सरकार की और सांसद में पब्लिक एकाउंटेबिलिटी बिल ला रही है जिस में प्रदेशों के मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री यदि किसी केस में जेल में भेजा जाए और 30 दिन तक उनकी ज़मानत नहीं होती तो उन्हें अपना पद छोड़ना प्रस्तावित है । जिस का फ़ैसला संबंधित विधान सभा या सांसद के स्पीकर जा राज्य के गवर्नर या देश के राष्ट्रपति द्वारा लिया जाना है ।
बीतें समय में कई मामलों में राज्यों में विपक्ष के मुख्यमंत्रियों को कई केसों में लंबे समय के लिए हिरासत में रहना पड़ा है और इस तरह का बिल लोकसभा में पेश करना, एक विपक्ष को राजनीति संदेश है कि की केंद की सरकार से तालमेल रखें (उनकी इच्छा अनुसार काम करें) ।
मुख्यमंत्री के अंतर्गत राज्य की एजेंसियां काम करतीं है ।
मुख्यमंत्री के अंतर्गत राज्य की एजेंसियां होती हैं इस लिए कोई भी जाँच एजेंसी अपने ही के राज्य के ख़िलाफ़ कोई ऐसी कार्यवायी नहीं कर सकती जिस से मुख्यमंत्री को जेल भेजा जाए ।
केंद्र सरकार की जाँच एजेंसियां प्रधानमंत्री के अधीन ।
इसी तरह देश के प्रधानमंत्री के ख़िलाफ़ ना तो राज्य की एजेंसियां और ना ही केंद्र सरकार की जाँच एजेंसियाँ कोई कार्रवाई कर सकती है जिससे उनको जेल जाना पड़े ।
केवल देश की जाँच एजेंसियां ही राज्य के मुख्यमंत्रियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई कर के जेल भेज सकती हैं जैसा की पिछले समय में देखा गया है ।
देश के प्रधानमंत्री को किसी मुक़दमे में जेल भेजना चाहे कोई भी पार्टी सत्ता में हो, जेल में भेजना असंभव लगता है । ना ही केंद्र की सत्ता में अपनी प्रदेश सरकार पर ऐसी कार्रवाई करने की संभावना है इसकी वजाए वह अपना मुख्यमंत्री को ही वदलना चाहेगी । इस का मतलब इसका प्रयोग केवल प्रदेश में विपक्ष के मुख्यमंत्रियों के ख़िलाफ़ ही होगा ।
केंद्र और प्रदेशों में तो में सरकारें बदलती रहेंगी और जो भी पार्टी केंद्र में सत्ता में होंगी वह ही राज्यों में विपक्ष के मुख्यमंत्रीयों को जेल भेजने की ताक़त रखेगी । सबसे बड़ा घाटे में रहने वाला है प्रादेशिक राजनीतिक पार्टियां क्योंकि उनको केंद्र सरकार के अनुसार ही चलना होगा, इस से हमारा संघीय ढाँचा कमजोर होगा, इस प्रस्तावित बिल पर हम सबको सोचना होगा ।
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