अधिकृत कश्मीर लिए बिना युद्ध विराम, 1948 में पाकिस्तान के साथ युद्ध विराम का जवाब 2025 के युद्ध विराम ने दे दिया ?
यक्ष प्रश्न
जब कभी भी हम इतिहास की बात करते हैं तो यह हमे भविष्य के लिए सही दिशा में काम करने के लिए प्रेरित करता है, इतिहास की विवेचना आगे बढ़ने के लिए होनी चाहिए ना की राजनीतिक लाभ के लिए होनी चाहिए ।
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू जिन्होंने भारत की आज़ादी में और देश की आज़ादी के बाद भारत के प्रधानमंत्री के तौर पर उस समय के मुश्किल हालतों में देश को संभाला । तब पाकिस्तान से भारत आए शरणार्थियों का पुनर्वास करना और देश को स्थिर करना मुख्य चुनौती था ।
आज़ादी के वाद जब भारत में राजाओं की रियासतों के विलय का काम चल रहा था तब जम्मू कश्मीर की हिंदू रियासत ने भारत और पाकिस्तान में जाने की बजाए अलग रहने का फ़ैसला किया था, इसी दौरान पाकिस्तान ने क़बालिओं के भेष में कश्मीर पर आक्रमण कर दिया और वह लगभग श्रीनगर तक पहुँच चुका था तब राजा हरि सिंह द्वारा भारत में विलय का फ़ैसला लिया और तब भारत की सेना ने उनको काफ़ी पीछे तक खदेड़ दिय, तब युद्ध विराम हो गया और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर का कुछ हिसा जोकि जम्मू कश्मीर के भारत में विलय करने के बावजूद भारत में ना आ सका ।
आज की मौजूदा सरकार इस बात को लेकर मौजूदा विपक्ष (तबक़ी शासक पार्टी) से सवाल करती हैं कि तब के प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने बीच में लड़ाई को ख़त्म क्यों किया, लड़ाई को बीच ही ख़त्म ना किया होता तो आज पूरा कश्मीर भारत में होता,
यह सवाल उठाना तो आसान है लेकिन देश की सत्ता में बैठे लोगों को देश के हालातों को देखते हुए फैसले करने होतें है।
उस समय के फैसले का जवाब कौन दे सकता है ? क्योंकि उस युद्ध विराम हुए (1948) को 77 वर्ष बीत चुके हैं, और ना ही उस समय के शासक मौजूद हैं और प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू जी का देहांत 61 वर्ष पहले हो चुका है । एक ही इसका जवाब दे सकता है वो है समय, मैं समझता हूँ की वो समय आ गया है और उसने इसका जवाब दे भी दिया है । उसका जवाब जब भारत चार दिन की लड़ाई (ऑपरेशन सन्दूर) में हम जीत रहे थे इसके बावजूद पाकिस्तान के विरुद्ध युद्ध बीच में ही क्यों रोक दिया, मैं युद्ध विराम के संबंध लिए हुए फैसले को ग़लत नहीं मानता उन्होंने (सरकार ने) जिन भी हालातों में फ़ैसला लिया ठीक ही लिया होगा । कोई भी प्रधानमंत्री जो फ़ैसला लेता है वो देश हित मे ही लेता है ।
लेकिन अब बिना पाकिस्तान से पाक अधिकृत छीने बिना एकदम से युद्ध विराम करना क्या वैसा है यक्ष प्रश्न नहीं है जैसा पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के 1948 के युद्ध विराम के पक्ष को लेकर उठाया जा रहा है ।
बलराज ठाकुर, जालंधर पंजाब 9417002173
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