अष्टांग योग का दूसरा अंग “नियम”
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(i) : शौच
शौच में हमे शरीर को शुद्ध करने के तरीक़े बताये गए है जिसने जल नेती, सूत्र नेति, धौति, कुंजल क्रिया, बस्ती क्रिया आदि साधन बताएँ गए हैं।
(ii) : संतोष
संतोष हमे अपने जीवन में जो मिला उसने संतुष्ट रहने के लिए कहा गया है
(iii) : तप
हमे अपने उद्देश्य की प्राप्ति के लिए अनुशासन से शारीरिक और मानसिक बल से कठोर मेहनत लगा कर यत्न करना चाहिए।
(iv) : स्वाधाय
इसमें अपने आप को समझने लिए अच्छी-अच्छी किताबें पढ़ना और समझना चाहिए।
(v) : ईश्वर प्राणिधान
हम इस ब्रह्मांड के हिस्सा हैं हमारी सारी शक्तियों को स्रोत है यही ब्रह्मांड है, और हमे इसके सान्ध्य में अपना अपने आप को समर्पण करना चाहिए।
पाँच यम और पाँच नियम हमे मानसिक और शारीरिक शुद्धि प्रधान करते और इससे हमे अष्टांग योग के अगले अंगों के अभ्यास के लिए तैयार करते हैं।
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