अष्टांग योग प्रथम अंग “यम”

—— अष्टांग योग का प्रथम अंग “यम”
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(i) : अहिंसा
 इसका मतलब किसी के लिए भी मन में वैर भाव ना रखना,  किसी भी जीव को दुख ना  देना  है । 
(ii) :  सत्य
सत्य का मतलब यथार्थ को स्वीकार करना 
(iii) : असेत्य 
असेत्य का शाब्दिक अर्थ होता है चोरी ना करना, इसका मतलब किसी दूसरे की वस्तु को पाने की इच्छा ना करना ।
(iv) : अपरिग्रह 
का मतलब है जरूर्त से ज़्यादा संग्रह (इकट्ठा) ना करना
(v) : ब्रह्मचर्य 
शुभ विचारों और सादगी से जीवन व्यतीत करना
अष्टांग योग पहला अंग “यम”  में यह पाँच मानसिक संकल्प जिससे हमे मानसिक रूप से अपने आप विचारों को शुद्ध  करने के लिए उपरोक्त पाँच जीवन के अनुशासनों के पालन के लिए कहा गया है।

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