पकोड़े खाने की प्रथा

बरसात होते ही हमारी भारतीय संस्कृति में पकोड़े खाने की प्रथा है, यह कोई मज़ाक नहीं परन्तु 100 प्रतिशत वैज्ञानिक और आपके स्वास्थ्य के लिए अति अनुकूल बात हैं

आयुर्वेद के अनुसार वर्षा ऋतू में जब हवा में नमी की मात्र अधिक होती है उस समय शरीर में वात (वायु) का प्रकोप रहता है जिसे नियंत्रण में लाने के लिए शुद्ध तेल में बनी चीज़ों का सेवन करना चाहिए। क्योंकि तेल (शुद्ध तेल रिफाइंड तेल नहीं) वातनाशक होता है इसलिए हमारे यहाँ वर्षा ऋतू में पकोड़े खाने की प्रथा विकसित हुई है। इसलिए बरसात आते ही पकोड़े अवश्य खाएं और सबको खिलाएं..

नोट: आयुर्वेद के अनुसार सावन (वर्षा ऋतू) में दही, छाछ, दूध, हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन वर्जित बताया गया है क्योंकि ये वात (वायु) वर्धक होते हैं, इसलिए इन्हें सावन में खाया नहीं जाता अपितु महादेव पर अर्पित किया जाता है क्योंकि महादेव हर प्रकार के विष को ग्रहण कर लेते हैं। इसलिए सावन में इन खाद्य पदार्थों का सेवन ना करें।

केवल शुद्ध तेल को ही प्रयोग में लायें रिफाइंड तेल का प्रयोग ना करें क्योंकि तेल को रिफाइंड करने के बाद उसका वातनाशक गुण ख़त्म हो जाता है।

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