इश्क़ वजह-ए-ज़िंदगी भी दुश्मन-ए-जानी भी है
ये नदी पायाब भी है और तूफ़ानी भी है
जवाँ संदेलवी
ज़ियान-ए-दिल ही इस बाज़ार में सूद-ए-मोहब्बत है
यहाँ है फ़ाएदा ख़ुद को अगर नुक़सान में रख लें
इक़बाल कौसर
पूछना चाँद का पता 'आज़र'
जब अकेले में रात मिल जाए
बलवान सिंह आज़र
नाम होंटों पे तिरा आए तो राहत सी मिले
तू तसल्ली है दिलासा है दुआ है क्या है।
नक़्श लायलपुरी
सोचूँ तो सारी उम्र मोहब्बत में कट गई
देखूँ तो एक शख़्स भी मेरा नहीं हुआ
- जौन एलिया
जो कुछ निगाह में है हक़ीक़त में वो नहीं
जो तेरे सामने है तमाशा कुछ और है
आफ़ताब हुसैन
तू अगर पास नहीं है कहीं मौजूद तो है
तेरे होने से बड़े काम हमारे निकले
अहमद मुश्ताक़
याद तुम्हारी मेरे संग वैसे ही रहती है
जैसे कोई नदी क़िले से सट के बहती है।
कैलाश गौतम
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