भारत में किसानों को अपनी खेती से मिलने वाली आय पर कोई टैक्स नहीं देना होता है। आयकर अधिनियम, 1961 के अनुसार कृषि से होने वाली आय टैक्स से मुक्त है। इसमें कोई शक नहीं कि भारत में अधिसंख्य किसान गरीब हैं, इसीलिये कृषि आय को आयकर मुक्त रखा गया। पर यह भी एक कड़वा सच है कि इस छूट का लाभ बड़े किसानों से कहीं ज्यादा राजनेताओं, अफसरों, व्यापारियों, उद्योगपतियों और कलाकारों ने उठाया है। ये लोग कृषि योग्य कुछ जमीन खरीदकर अपनी काली कमाई को कृषि आय दिखाकर उसे सफेद धन में बदल लेते हैं।
चिदंबरम की बिटिया ने गमलों में गोभी उगाकर सालाना 80 लाख की कमाई की। ऐसा करने वाली वो अकेली नहीं है। दरअसल, भ्रष्टाचार इस देश के डी.एन.ए. में समा चुका है, इसने अब कैंसर का रूप ले लिया है, जिसका इलाज आसान नहीं। सच्चाई यह है कि अमिताभ बच्चन हों, शाहरुख की बेटी हो, कांग्रेस हो या भारतीय जनता पार्टी, सभी के दिग्गज नेता ऐसे ही 'गरीब किसान' हैं। यही कारण है कि इन सभी राजनीतिक दलों में चाहे लाख मतभेद हों, लेकिन कृषि को आयकर के दायरे में लाने को लेकर सभी में मूक सहमति है। ये सभी नेता एकमत हैं।
देश में करीब 10 लाख किसान ऐसे हैं जिनकी सालाना आय एक करोड़ से अधिक है। कई एक्सपर्ट 50 एकड़ से अधिक भूमि वाले किसानों या जिनकी कृषि आय एक करोड़ से ज़्यादा की है, उन पर टैक्स लगाने की वकालत करते हैं। उनकी दलील है कि सरकार गरीब किसानों के अकाउंट में पैसे ट्रांसफर करके उनका ध्यान रख रही है, तो ऐसे में अमीर किसानों पर टैक्स लगाकर उसकी भरपाई होनी चाहिए, लेकिन वास्तविकता यह है कि जैसे ही कृषि आय को टैक्स के दायरे में लाया जाएगा, किसान देश में तूफान खड़ा कर देंगे और जो कमी रह जायेगी, उसको नेता, अभिनेता अपने बयानों से पूरी कर देंगे, यानि इस आग में पेट्रोल डालने का काम बखूबी करेंगे।
हालांकि हक़ीक़त ये है कि अधिकांश किसान गरीब हैं और वो आय कर के दायरे में नहीं आएंगे। लेकिन विडंबना ये है कि कृषि पर आयकर का विरोध अधिसंख्य ऐसे किसान करते हैं जिनकी सालाना आय ना तो टैक्स सीमा में आती है, और शायद ही निकट भविष्य में आये।
*Meenakshi Bhalla
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