स्वर विज्ञान

जब आप सो कर उठे तो जिस तरफ का स्वर चल रहा हो उसी तरफ का पैर जमीन पर पहले रखकर और उसी तरफ का हाथ हाथ मुंह से स्पर्श करें तत्पश्चात दोनों हाथों को देखें और अपने इष्टदेव का स्मरण करते हुए दोनों पैर जमीन पर रख दें सिर्फ ऐसा करने से आपके प्रारब्ध में जो लिख कर आया है वह बदल सकता है। या यूं कहिए आपको भाग्य की प्रबलता प्राप्त होगी। यह स्वर विज्ञान के अंतर्गत आता है यह शिव जी ने माता पार्वती से कहा है उनके प्रश्न पूछने पर बायां स्वर् इड़ा नाड़ी और सीधा स्वर पिंगला नाड़ी को सूचित करता है जब दोनों स्वर समान रूप से चल रहे हो तो वह सुषुम्ना गति कहलाती है इडा नाड़ी चंद्रमा प्रधान और पिंगला नाड़ी सूर्य प्रधान है।

साधारण शब्दों में इडा नाडी से ठंडा स्वर और पिंगला नाड़ी से गर्म स्वर चलता है

मंगलवार शनिवार और इतवार इन तीनों दिनों में अगर पिंगला नाड़ी या सूर्य नाड़ी चलती है तो शुभ होता है और सोमवार बुधवार बृहस्पतिवार और शुक्रवार इस दिन अगर चंद्र नाड़ी चलती है तो शुभ होता है।

यह नियम प्रकृति के द्वारा निर्धारित है हम इस को बदल नहीं सकते।।**********अगर आप मान लीजिए किसी दिन सो कर उठे हैं और वह दिन सोमवार का है आपकी चंद्र नाड़ीचलनी चाहिए,, और आपकी सूर्य नाड़ी चल रही है सुबह के टाइम जिस समय आप सो कर उठते हैं।।। तब आपको क्या करना है कि आप कुछ देर के लिए सीधी करवट लेट जाइए और ध्यान पूर्वक गहरी गहरी सांस लीजिए आप की चंद्र स्वर या चंद्र नाड़ी और चलने लगेगी फिर आप बाएं तरफ का पैर पहले उठाकर जमीन पर रखिए और बाएं हाथ को बाएं हथेली को पहले मुख से स्पर्श करके जमीन पर रखें ऐसा करने से विपरीत परिस्थितियों में भी विजय पाई जा सकती है,********यह सिद्धांत सिर्फ उन्हीं स्थितियों में काम करता है जब आप सूर्य उगने से 45 मिनट पहले और 45 मिनट बाद तक उठ जाते हैं। ज्यादा देर से उठने पर यह सिद्धांत फलित नहीं है

सबसे उत्तम तो यह है कि सूर्य उगने के समय से 45 मिनट पहले आपको उठ जाना चाहिए अगर जीवन में सुख प्राप्त करने हैं तब।।।

सुख बोले तो परिस्थितियां आपके अनुकूल रहे।। वही सुख है

यह अनुभव सिद्ध है । हम इसका स्वयं पालन करते हैं और इसका फल हमारे सामने हैं।

इस क्रिया को करने के लिए हरि इच्छा होना बहुत जरूरी है। जब पूर्व जन्म के अच्छे कर्मों के फल उदय होंगे तभी आप इस प्रक्रिया को कर पाएंगे हैं अन्यथा बहुत मुश्किल है।

इसका संबंध सीधा प्रारब्ध को बदलने से है इसलिए यह कहा गया।।

ऐसा हमने अपने गुरु जी के मुख से सुना है।।

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