सुप्रीम कोर्ट आवारा कुत्तों के फैसले पर दोबारा करेगा विचार, राहुल गांधी कर चुके हैं विरोध
सुप्रीम कोर्ट के दिल्ली-NCR में आवारा कुत्तों पर दिए फैसले का काफी विरोध देखने को मिल रहा है। जिसे लेकर ह्यूमन राइट्स ऑफ इंडिया ने इस पर याचिका दायर की। इस याचिका पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया बीआर गवई ने मामले पर दोबारा विचार करने का आश्वासन दिया है।
कुत्तों की नसबंदी और शेल्टर होम में रखने के दिए थे आदेश
बीते दिनों सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली और NCR के नगर निकायों को आदेश दिए थे कि आवारा कुत्तों को पकड़कर तुरंत उनकी नसबंदी करें और उन्हें शेलटर होम में स्थायी तौर पर रखने के आदेश दिए थे। इसके साथ ही कहा कि इस काम में कोई ढिलाई नहीं होना चाहिए और अगर कोई व्यक्ति या संगठन आया तो उसके खिलाफ सख्त एक्शन लिया जाएगा।
रिपोर्ट सामने आने के बाद खुद लिया नोटिस
दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने 28 जुलाई को खुद संज्ञान लेते हुए यह मामला उठाया। जब संसद में एक रिपोर्ट पेश की गई थी कि दिल्ली-NCR में रेबीज के मामले लगातार बढ़ रहे हैं और बच्चों व बुजुर्गों की मौत पर चिंता जताई गई थी।
इसी को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली, एमसीडी और एनएमडीसी जल्द से जल्द सभी इलाकों, खासकर संवेदनशील क्षेत्रों से कुत्ते उठाने के आदेश जारी किए हैं। इसके साथ यह भी कहा कि अगर जरूरत हो तो इसके लिए अलग बल बनाएं।
6 हफ्तों में 5 हजार कुत्ते पकड़ने का अभियान शुरू करें
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसलों में कहा कि 8 हफ्तों में पर्याप्त स्टाफ और सीसीटीवी के साथ डॉग शेल्टर बनाएं। नसबंदी के बाद कुत्तों को न छोड़ें। 6 हफ्तों में 5,000 कुत्तों को पकड़ने का अभियान शुरू करें। संवेदनशील इलाकों से शुरुआत करें, बाधा डालने वालों पर कार्रवाई करें।
दिल्ली, नोएडा और गुरुग्राम में रोजाना पकड़े गए कुत्तों का रिकॉर्ड रखें, नियम तोड़ने पर कड़ी कार्रवाई होगी। एक हफ्ते में डॉग बाइट और रेबीज के लिए हेल्पलाइन बनाएं। 4 घंटे में कार्रवाई कर कुत्ते को नसबंदी के बाद न छोड़ें। रेबीज वैक्सीन का पूरा स्टॉक और उपलब्धता की रिपोर्ट दें।
राहुल गांधी ने किया था फैसले का विरोध
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का राहुल गांधी ने विरोध किया था। राहुल गांधी ने एक्स पर लिखा कि शेल्टर्स, नसबंदी, टीकाकरण और सामुदायिक देखभाल अपनाया जाना चाहिए। इससे बिना क्रूरता के भी कुत्तों को सुरक्षित रखा जा सकता है। पूरी तरह से पाबंदी क्रू-अदूरदर्शी है और हमारी दया-भावना को खत्म करता है। हम यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि जन सुरक्षा और पशु कल्याण दोनों कैसे साथ-साथ चलें।
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